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सुरेश रैना ने आउट होकर वापस जाने के ठीक पहले जो किया, वो काफ़ी बेवकूफ़ाना था सनराइज़र्स हैदराबाद और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला गया. चेन्नई ने ये मैच और आईपीएल ट्रॉफी, दोनों जीते. चेन्नई ने आईपीएल फाइनल बड़े ही आराम से जीत लिया. लेकिन इस बीच एक वाकया हुआ – सुरेश रैना आउट हुए. कार्लोस ब्रेथवेट की गेंद पर. कार्लोस ने रैना की कमज़ोरी पर ही अटैक किया. छोटी गेंद फेंकी. रैना झुके और गेंद पीछे कीपर के पास पहुंच गई. कीपर और बॉलर एक साथ अपील में खड़े हो गए. लेकिन अम्पायर ने नॉट आउट दिया. रैना अपनी जगह पर डटे रहे. ब्रेथवेट ने तुरंत ही कप्तान विलियमसन की ओर देखा. विलियमसन ने सेकंड से पहले अम्पायर को रिव्यू के लिए कह दिया. सुरेश रैना ने मामला देखा, मुंह बनाया और इससे पहले कि थर्ड अम्पायर फुटेज देखना शुरू करते, वो पवेलियन की ओर चल पड़े. असल में वो आउट थे. लेकिन चूंकि अम्पायर ने नॉट आउट दिया था, वो रुके रहे. रैना का ऐसा करना समझ में नहीं आया. ऐसे वक़्त में जब टीमों को डीआरएस नाम का हथियार मिला हुआ है, आप क्यूं ही एक गलत फ़ैसले पर खड़े रहना चाहेंगे? बॉलर और कीपर पूरी तरह से अपील कर रहे हैं, उन्हें मालूम है कि गेंद आपके ग्लव्स से लगी है, आप आउट हैं, फिर भी आप रुके रहे, क्यूं? ये तो ज़बरदस्ती अपनी भद्द पिटवाने वाली बात हो जाती है. यहीं एक बात ये भी उठती है कि अगर सामने वाली टीम रिव्यू न करवाती तो? तो होता ये कि आगे मालूम तो पड़ ही जाता कि आप आउट थे और ये जानने के बावजूद भी आप खेल रहे थे. ऐसे मौकों के लिए ही आईपीएल में फ़ेयरप्ले जैसी बातें होती हैं. कुछ ऐसे अलिखित नियम होते हैं, जिनपर चला जाए तो खेल और भी निखर जाता है. अपने आख़िरी गेम में चेन्नई के ख़िलाफ़ खेलते हुए क्रिस गेल के बल्ले से गेंद लगी थी. उन्हें मालूम पड़ा लेकिन अम्पायर ने नॉट आउट दिया था. क्रिस गेल अपनी मर्ज़ी से चल पड़े. रिव्यू करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी. इसे स्पोर्ट्स स्पिरिट जैसा कुछ कहते हैं. रैना को ये समझना चाहिए था. की वो वरिष्ठ हैं।